Tuesday, May 8, 2018

जालतोला और मिस्टी माउंटेन : सिर्फ एहसास है यह रूह से महसूस करो...!

कुमाऊँ हिमालय के स्वर्ग की सैरगाह

हिमालय का घूँट भरना हो, उसे सांसों में बसाना हो और उसे जीना हो तो इस जगह ज़रूर जाएँ

-किन्नर आचार्य, लेखक-पत्रकार




यात्रा करने का सबका फंडा अलग-अलग होता है. किसी को साइट सीइंग में मज़ा आता है. सुबह होटल के रूम में उठते ही तुरंत दिनभर की प्लानिंग शुरू हो जाती है. एक रात पहले ही सबकुछ  निर्धारित होता है. एक दिन में संभव हो उतना ज्यादा देख लें. सनराइज पॉइंट से लेकर सनसेट पॉइंट तक का सफ़र. बोटिंग भी कर लेना और घुड़सवारी भी कर लेना. मार्किट में तीन घंटे निकलना और वहाँ से वही चीज़ लेना जो हमारे शहर में आधे दाम पर मिल रही होती है. हिल स्टेशन पर जाकर भी डोमिनोज या मैकडोनाल्ड्स के आउटलेट खोजना और बच्चों के लिए टोराटोरा की राइड्स. सबकी अपनी-अपनी स्टाइल होती है. मुझे ऐसी शैली पसंद नहीं है. कोई एक सुन्दर, आइसोलेटेड स्थान पर पाँच-सात दिन डेरा डालना और वहाँ से अनुकूलता से रोज़ एकाध जगह देख आना, किसी भी कारण के बिना जंगलों में गाइड को साथ लेकर घूमना मेरे लिए परमानंद है. हाँ! जहाँ 5-7 दिनों का पड़ाव हो वह जगह अव्वल दर्जे की होनी चाहिए. इसी तरह घुमते हुए मुझे कई अद्भुत जगहों का परिचय हुआ. हिमालय के जालतोला नामक स्थान पर स्थित दि मिस्टी माउंटेन रिसोर्ट में हाल ही में मुझे ऐसा ही अनुभव हुआ. दिव्य अनुभव. इंग्लिश में कहें तो A Divine Experience!


हमारी आदत है की हम हमेशा पोपुलर डेस्टिनेशन और भीड़-भाड़ वाले शोरगुल से भरे स्थान घूमने के लिए पसंद करते हैं. लेकिन एकांत एवं निर्जन जगहों का एक अलग ही आनंद होता है. बच्चे तो पिज़्ज़ा और राइड्स की ज़िद करेंगे ही. लेकिन उनका ख़याल रखना पड़ता है. वर्जिन प्लेस का महत्व, उसका आनंद लेने वाली मानसिकता भी एक प्रकार का संस्कार ही मानी जाएगी. जालतोला की गोद में स्थित दि मिस्टी माउंटेन ऐसा ही एक अनोखा स्थान है. कहना चाहिए कि धरती पर स्वर्ग है. यहाँ चारों तरफ़ प्रकृति का साम्राज्य है और सात्विक वातावरण का आधिपत्य है. यहाँ पहुँचते ही प्रथम विचार यही आता है : 'जिस संसार में हम रहते हैं वह कितना निम्नस्तरीय और कितना कृत्रिम है! हम कितना कुछ गंवाकर ऐशोआराम में खो जाते हैं!'


दि मिस्टी माउंटेन एक यादगार अनुभव है. अविस्मरणीय एवं अद्वितीय. नैनीताल से 160 किलोमीटर दूर स्थित जालतोला यानी एक ज़माने का Tea Estate. यहाँ की चाय दार्जिलिंग से भी बेहतर मानी जाती है. भारत की श्रेष्ठतम चाय के लिए इस स्टेट को गोल्ड मेडल भी मिल चूका है. टी स्टेट के नियम बहुत कड़े होते हैं. यहाँ आप कोई बदलाव नहीं कर सकते. भौगोलिक कारणों से चाय की खेती बंद होने के बाद 1000 एकड़ में फैला यह वैभवपूर्ण रहस्यमय जंगल ऐसे ही पड़ा रहा. जंगल और वैभवपूर्ण? हो सकता है, बिलकुल हो सकता है. यह जंगल 80% वनों से आच्छादित है. यहाँ ओक और उत्तराँचल के विशिष्ट फूल बुरांश के लाखों वृक्ष हैं. हिरण और सेही तथा तेंदुए हैं वैसे ही 300 से भी ज़्यादा प्रकार के पक्षी भी हैं. मिस्टी माउंटेन रिसोर्ट इस तरह से बना है कि उसके ऑलमोस्ट हरेक कमरे से हिमालय के एक दर्जन से भी ज़्यादा हिमाच्छादित उत्तुंग शिखर निहारे जा सकते हैं. हाथी पर्वत, गौरी पर्वत, नंदाघूंटी, त्रिशूल, मृगतुंगी, नंदादेवी ईस्ट-वेस्ट, पंचाचूली जैसे अनेक शिखरों का मंत्रमुग्ध कर देने वाला व्यू यहाँ से देखने को मिलता है.


रिसोर्ट से हिमालय का अद्वितीय नज़ारा एवम रूम का दृश्य





उत्तरांचल और कुमाऊँ का टूरिस्ट मैप देखें तो जालतोला का उल्लेख भी उसमें शायद नहीं होगा, मूलतः यह प्राइवेट जंगल रावत परिवार की संपत्ति है। उन्नीसवीं सदी में ट्रेकिंग करके अनेक मार्ग खोजने वाले पंडित किशन सिंह रावत और उनके भाई नैन सिंह रावत की प्रॉपर्टी। पिछले साल गूगल ने नैन सिंह रावत का डूडल भी रखा था। रावत परिवार के वंशज हर्ष रावत इस जंगल की देखभाल करते हैं। हालाँकि रिसोर्ट के लिए पाँच एकड़ जमीन मधुर छाबड़ा और उनकी पत्नी अंबिका छाबड़ा ने लीज पर ली हुई है।

Ambika & Madhur Chhabra

होटल बिजनेस से जुड़े मधुर छाबड़ा उस समय एकदम ऑफबीट रिज़ॉर्ट शुरू करना चाहते थे। बिल्कुल हटकर। उसी समय उनके पोते के पूर्व क्लासमेट यश रावत कहीं मिल गए। बातों-बातों में जालतोला की चर्चा हुई। मधुर को जगह दिखाने हर्ष जालतोला ले गया और मिस्टी माउंटेन का जन्म हुआ। हर्ष की माँ की इच्छा थी कि यहाँ टिपिकल टूरिस्ट स्पॉट जैसा प्रदूषण नहीं फैलाना चाहिए। घुटन, शोरशराबा और प्लास्टिक और प्रदूषण से मुक्त इस जंगल की प्राकृतिक समृद्धि और संपदा बनाए रखना उनकी शर्त थी। उसी के अनुरूप अनुबंध किया गया। मुख्य सड़क से चार किलोमीटर दूर एक सुंदर जगह पसंद की गई। कच्चा रोड भी वहाँ तक नहीं था, पैदल ही जाना पड़ता था। इसलिए एक कार चल सके ऐसा कच्चा रास्ता बनाया गया। मधुर स्वयं चुस्त प्रकृतिप्रेमी हैं इसलिए एक भी वृक्ष काटा न जाए इस बात का विशेष ध्यान रखा गया और धीरे-धीरे पृथ्वी के स्वर्ग, जिसका नाम मिस्टी माउंटेन है, की रचना हुई।


यहाँ अद्भुत रूम्स, कॉटेज और स्यूट्स हैं। उन सभी में व्यू का विशेष ध्यान रखा गया है। फूड के लिए लाजवाब के सिवा कोई दूसरा शब्द नहीं है। अगर आप वेजिटेरियन हैं तो मजे ही मजे। भोजन में ग्रीन वेजिटेबल की एक डिश होती है, पनीर तथा कोफ्ते की वेरायटी होती है, कुल चार सब्ज़ियाँ, दाल-चावल, सलाद, रायता, तवा रोटी और एकाध गर्मागर्म स्वीट, और बोनस के रूप में अंबिकाजी के हाथों से बनाए हुए एक दर्जन से भी ज़्यादा स्वादिष्ट अचार। लहसुन का भी और लाल-हरी मिर्ची का भी अचार, स्थानीय माल्टा का जैम, मिर्ची का जैम और दूसरा बहुत कुछ। ब्रेकफास्ट में भी अनेक विकल्प मौजूद होते हैं। भोजन के लिए मसाले तो अंबिकाजी ख़ुद तैयार करती हैं। हल्दी और मिर्ची की ख़ुद ही खेती करती हैं। बैंगन और मटर, आलू आदि भी उगाए जाते हैं। सबकुछ ऑर्गॅनिक। यह क्षेत्र वैसे भी पीच, एप्रिकॉट, माल्टा आदि की श्रेष्ठतम गुणवत्ता की पैदावार के लिए मशहूर है। और सबसे मूल्यवान है यहाँ का शुद्धतम मिनरल वॉटर। दो किलोमीटर दूर स्थित अलग-अलग झरनों से पंपिंग करके असली मिनरल वॉटर यहाँ लाया जाता है। वह पानी इतना शुद्ध और खनिज तत्वों से भरपूर होता है कि विशेषज्ञों ने किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ न करने की सलाह दी है। केवल वॉटर फिल्टर ही लगाया गया है ताकि उसके लाभदायक तत्व बने रहें। यहाँ जाना हो तो भूल से भी तथाकथित मिनरल वॉटर की बोटल ना मँगवायें.


मिस्टी माउन्टेन और हम सब


मिस्टी माउंटेन जाना हो तो एक-दो दिन पर्याप्त नहीं हैं। यहाँ तीन-चार या पाँच नाइट का स्टे हो तो आनंद दोगुना हो जाता है। इतने दिन किया क्या जाए वैल, हिमालय के दिव्य वातावरण के घूँट भरे जा सकते हैं। यहाँ गेम जोन है जिसमें बेडमिंटन, केरम, चैस, टेबल टेनिस खेला जा सकता है। एक छोटी लाइब्रेरी भी है। यहाँ से तीन किलोमीटर की दुर्गम चढ़ाई करके लंकेश्वर मंदिर जा सकते हैं। वहाँ से हिमालय का 360 डिग्री व्यू दिखाई देता है। वह ऐसी जगह है जिसके बारे में आप कल्पना भी नहीं कर सकते। वास्तव में कल्पनातीत। देखकर वापिस आने में 4-5 घंटे का समय लगता है, लेकिन मेहनत वसूल होने की गैरंटी है। इसके बाद इस रिज़ॉर्ट को बेसकैंप बनाकर आस-पास बहुत कुछ देखा जा सकता है। पाताल भुवनेश्वर, हाटकाली मंदिर, चैकोरी, सूर्य मंदिर, मुक्तेश्वर, बिनसर जैसे स्थानों में से रोज एक-दो जगहों पर शांति से घूमने में आनंद आ जाता है। मई-जून के दौरान रिज़ॉर्ट पर एडवेंचर एक्टिविटी भी होती हैं। रेपलिंग, हाइकिंग, ट्रेकिंग, विपेज वॉक आदि का आनंद सपरिवार उठाया जा सकता है। बर्ड वाचिंग भी की जा सकती है। मिस्टी माउंटेन सस्ता नहीं, तो महंगा भी नहीं है। हम जहाँ ठहरे थे उस फैमिली कॉटेज में तीन बैडरूम, एक किड्स रूम और बड़ा हॉल था। टैरिफ सात हजार जितना था। फूड थोड़ा महंगा है, लेकिन इस जगह की सुंदरता और प्राकृतिक ऐश्वर्य के लिए किफायती है।


For More Details, Click The Link Given Below: 

http://themistymountains.in

-हिंदी अनुवाद : प्रवीण शर्मा

मिस्टी माउंटेन संपर्कसूत्र : 
कविता गोयल, 
मोबाइल: +919910345220

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